आवन्तिका की कहानी हमारी जु़बा़नी - 1 JYOTI MEENA द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आवन्तिका की कहानी हमारी जु़बा़नी - 1

आवन्तिका और वेदान्त राठौड़ की शादी बहुत ही अलग ढंग से हुई थी। यह आवन्तिका की दूसरी शादी थी। वेदान्त एक सरकारी अफसर था और बहुत ही ईमानदार और सुलझे हुए व्यक्तित्व का इंसान था साथ ही साथ वह जयपूर के राठौड़ परिवार का बडा़ बेटा भी।
आवन्तिका का तलाक होने के बाद उसके परिवार (ससूराल वालों) ने उसे दूसरे गांव दिया ताकि उसकी मनोस्थिति कुछ बेहतर हो सकें। आवन्तिका के ससूराल वाले उसे अपनी बेटी की तरह मनाते थे, और वह उसके दर्द को समझते हुए उसे "अलवर" भेजते हुए उसे कहते है कि- तने जो करना है कर हम उसमें तेरे साथ है। अलवर पहूँचने के दो-तीन दिन बाद आवन्तिका अपनी इकलौती दोस्त दीप्ति सहेगल को अलवर बुलाती हैं।
आवन्तिका राजस्थान के एक छोटे से गांव "जलोर" के ठाकूर परिवार की बहू है, जिसकी शादी वेद रजावत से हुई , वेद एक बहुत ही अत्याधिक आत्मविश्वासी इंसान है, उसे लगता है कि वह जो करता है वही सही और कुछ नहीं वो बहुत अहंकारी हैं, उसे इंसानों को उनके स्वभाव से नहीं बल्कि उनके परिवार, खानदान और उनके पैसों से देखता था चाहे वो कितने ही गलत या सही हो उसे इन बातों से कोई फर्क़ नहीं पड़ता।
किन्तु आवन्तिका इससे बिल्कुल विपरीत है- वह बहुत ही शान्त स्वभाव की है, वह हर इंसान के कार्य और व्यवहार से लोगों की पहचान करती, और हर इंसान का सम्मान करती। कठिन समय में लोगों की सहायता करना उसकी आदतों में शामिल है।
आवन्तिका की शादी वेद रजावत से उसके माता-पिता ने उसे अच्छा लड़का समझ कर जान-पहचान होने के कारण बिना कुछ ज्यादा जाने उसकी शादी वेद रजावत से कर दी। उन्हें लगता था कि वेद बहुत ही अच्छा और सुलझा हुआ लड़का है, जो उनकी बेटी को बहुत खूश रखेगा। लेकिन उन्हें पता ही नहीं था कि वो जैसा सोच रहे हैं वह उसके बिल्कुल विपरीत हैं।
आवन्तिका ने फैशन डिजा़ईनिंग की पढा़ई की थी,उसे कपडे़ डिजा़इन करने का, ज्वेलिरी मेकिंग और पेंटिग करने का बहुत शौक था। और वह बहुत ही खूबसूरत पेंटिग और गहनें बनाती थी, उसने जयपूर के मशहूर महाविद्यालय (कॉलेज) से पढा़ई की थी। आवन्तिका की वेद से शादी हो जाने के बाद उसे लगा की उसने अपने जीन सपनों को अधूरा छोडा़ था अब वह उन्हें पूरा कर सकती है, पर उसे पता नहीं था कि जो वह सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं हो सकता ।
आवन्तिका बहुत हिम्मत कर-कर वेद से पूछती हैं कि वह अपना खुद का एक बिज़नेस करना चाहती हैं, लेकिन बात पूरी होने से पहले ही वेद उसे रोकते हुए बोलता है कि तुम्हें यह सब करने की कोई ज़रुरत नहीं हैं तुम वेद रजावत की पत्नी हो तुम्हारे लिए इतना हीं काफी होना चाहिए, और वैसे भी एक औरत घर में रहकर घर संभले यही उसका काम हैं और आज के बाद दुबारा यह ख्याल ज़हन में लाने की कोशिश भी मत करना। यह बात सुनकर मानो आवन्तिका के पैरों तले ज़मीन खिसक गई हो, लेकिन वह कुछ नहीं बोलती और रोने लगती हैं और सोचती हैं कि इक्कसवीं सदी में रहने के बावजूद ऐसी सोच रखते है मेरे पति।
पूरे गांव में आवन्तिका को "छोटी बहु" कहकर बुलाता था। पूरा गांव आवन्तिका को उसके व्यवहार से बहुत मानता था और वेद को बहुत बेहतर ढंग से जानता था फिर भी किसी की हिम्मत नहीं थी की कोई वेद के पिता से उसकी शिकायत करें.......................।
बाकी आगे.........